सिस्टम की कमियों से बगावत करती, प्रेम और देश प्रेम पिरोती कहानी है Khesari Lal Yadav और Kajal Raghwani की फिल्म Baaghi Ek Yodha।
फिल्म के मुख्य किरदारों में आपको नजर आएंगे खेसारी लाल यादव, काजल राघवानी, ऋतु सिंह, प्रकाश जैन, अयाज खान, माया यादव, विनोद मिश्रा आदि।
फिल्म के लेखक हैं अरविंद तिवारी। निर्देशन की कमान संभाली है शेखर शर्मा ने और फिल्म के निर्माता है जयंत घोष।
फिल्म में खेसारी लाल यादव एक फौजी की भूमिका में नजर आते हैं, जो अपने काम से, अपने देश से बेहद प्रेम करता है। वही काजल राघवानी एक Human Rights Activists के किरदार में है।
काजल राघवानी को लगता है कि फौज और फौजी बड़े क्रूर होते हैं। देशद्रोही और आतंकवादी के निर्माण और क्रूर हत्या करते हैं और वह उसी के खिलाफ काम करती है।
अचानक एक एक्सीडेंट होती है जहां काजल की मदद के लिए फौज का ही एक फौजी यानी खेसारी लाल यादव पहुंचते हैं। खेसारी के काम और उसके बातों का काजल पर कुछ ऐसा असर होता है कि उनके दिल में फौज और फौजियों के लिए जो भी सोच थी वह बदल जाता है। फौजियों के लिए उनके दिल में एक सॉफ्ट कॉर्नर डेवलप हो जाता है और इसका नतीजा यह होता है कि दोनों कि जान पहचान प्यार में बदल जाती है।
इसी बीच खेसारी छुट्टियों में अपने घर अपने माता पिता के पास जाते हैं। जहां उनको पता चलता है कि उनके माता-पिता ने उनकी शादी रितु सिंह से फिक्स कर दी है। पर खेसारी इस रिश्ते को मना कर देते हैं और सभी को काजल के बारे में बताते हैं। खेसारी के माता पिता काजल से मिलने के लिए तैयार हो जाते हैं। काजल से मिलने के लिए स्थान और समय तय होता है। पर काजल वहां नहीं आती।
खेसारी को लगता है कि काजल ने उन्हें धोखा दिया है और इसीलिए वह रितु सिंह से शादी करने के लिए हामी भर देते हैं, और फिर रितु और खेसारी की सगाई हो जाती है। सगाई से जब खेसारी लौट रहे होते हैं वह देखते हैं कि एक लड़की के पीछे कुछ गंदे पड़े हुए होते हैं। खेसारी उस लड़के की जान बचाते हैं। वह लड़की कोई और नहीं बल्कि काजल रघवानी है। काजल इतने दिनों कहां थी, उनके साथ क्या हुआ था, आखिर वह खेसारी के माता-पिता से मिलने क्यों नहीं आई। इन सारे आक्रोश भरी सवालों का जवाब खेसारी को काजल की आवृत्ति सुनने के बाद पता चलता है।
काजल खेसारी को बताती है कि जब उनके माता-पिता से मिलने आ रहे थे, उसी वक्त उनका रास्ते में भयानक एक्सीडेंट हुआ। उस एक्सीडेंट में उन्होंने अपने माता पिता को खो दिया। काजल बच गई लेकिन कई दिनों तक हॉस्पिटल में रहे और हॉस्पिटल के बाद सीधे उन्हें बालिका आश्रम में भेज दिया गया। खेसारी काजल के सभी बातें सुन उन्हें अपना लेते हैं और उन्हें अपने माता-पिता के पास ले आते हैं। पर खेसारी के माता पिता अब काजल को अपनाने से मना कर देते हैं। खेसारी काजल के साथ खड़े होते हैं और अपने माता पिता को छोड़ देते हैं और यहां से खेसारी बागी बन जाते हैं।
काजल उनके साथ हुए दुर्व्यवहार और बालिका आश्रम में हो रहे कुकर्म के कहानी भी खेसारी को बताते हैं। खेसारी कहते हैं कि उन्हें न्याय मिलना चाहिए और गुनहगारों को सजा वह दिलवा कर रहेगी। खेसारी काजल को लेकर पुलिस स्टेशन जाते हैं। आश्रम के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवाने, पर पुलिस के मिलीभगत की वजह से पुलिस उन्हें ही टॉर्चर करना शुरू कर देते हैं। इधर आश्रम के संचालक यानी अयाज खान भी खेसारी के पीछे पड़ जाते हैं। पुलिस से और गुंडों से बचकर खेसारी काजल के साथ एक मुस्लिम घर में पनाह लेते हैं जो इनके बहुत मदद करते हैं। आश्रम के संचालक अयाज खान खेसारी और काजल को ही नहीं ढूंढता बल्कि खेसारी के माता पिता को अपरहण करने के लिए उनके पीछे गुंडे लगा देता है। खेसारी अयाज खान को धमकी देता है कि वहां 24 घंटे में उनका पर्दाफाश करके रहेगा। क्या खेसारी ऐसा करने में कामयाब होते हैं या नहीं? यह जानने के लिए आपको यह भोजपुरी फिल्म देखना पड़ेगा बागी एक योद्धा।
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कई उतार चढ़ाव से भरी, रोमांटिक और एक्शन फिल्म है बागी एक योद्धा। भोजपुरी ऑडियंस में खेसारी की एक धमक है और इसी धमक के दम पर पूरा थिएटर सिटियो से गुजरता है। फिल्म में खेसारी लाल यादव का किरदार दमदार है। काजल राघवानी की परफॉर्मेंस बेहतरीन है। खेसारी लाल यादव और काजल राघवानी भोजपुरी इंडस्ट्री के सबसे हिट जोड़ी है और इस फिल्म से इसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए नजर आए भी रही है। रितु सिंह का काम सराहनीय है। अयाज खान विलेन के किरदार में फिल्म द फिल्म सशक्त होते जा रहे हैं।
फिल्म को भोजपुरी फिल्म से ऊपर उठाने की कोशिश और इसका श्रेय जाता है फिल्म के निर्देशक शेखर शर्मा को। फिल्म की कहानी ट्रीटमेंट के साथ तकनीकी पक्ष को बेहतर करने का खूबसूरत प्रयास है। इस फिल्म को देते हैं 3.5 star 5 में से।