बदलते समाज में विवाह के रीति रिवाज मैं भी बढ़ा बदलाव आया है ।
पारंपरिक तौर पर देखा जाए तो दो परिवारों में स्थित होते थे, और लड़का और लड़की का विवाह कर दिया जाता था । लड़का और लड़की एक दूसरे को विवाह के दिन ही देखते थे । लेकिन आज लड़का और लड़की मिलते हैं, एक दूसरे से बातें करते हैं और विवाह करने का निर्णय लेते हैं । परिवार उनके इस विवाह करने के निर्णय पर मोहर लगाता है और विवाह के सारे रस्मों को पूरा करते हैं । जी हां आज हम बात कर रहे हैं भोजपुरी फिल्म विवाह (Vivah) की जो रिलीज हो चुकी है ।
विवाह भोजपुरी फिल्म (Vivah Bhojpuri Film) मे विवाह के आधुनिक रूप से नहीं बल्कि पारंपरिक रूप से ही रूबरू होंगे ।
विवाह फिल्म के मुख्य कलाकार
फिल्म के मुख्य कलाकारों में आपको नजर आएँगे प्रदीप पांडे चिंटू (Pradeep Pandey Chintu) , आकांक्षा अवस्थी (Akanksha Awasthi) , संचिता बनर्जी(Sanchita Banerjee) , अवधेश मिश्रा(Awadhesh Mishra) , किरण यादव, इत्यादि ।
फिल्म के लेखक है अरविंद तिवारी और फिल्म को डायरेक्टर किया है मंजुल ठाकुर(Manjul Thakur) ने । इस फिल्म के प्रोड्यूसर है पड़तिक सिंह, प्रदीप सिंह और निशांत उज्जवल ।
विवाह फिल्म का स्टोरी लाइन
कहते हैं विवाह दो आत्माओं का मिलन है । इस फिल्म में दो परिवार तो मिल जाते हैं लेकिन दो आत्माएं नहीं मिलती । इसकी वजह से परिवार कई यातनाओ से गुजरता है। प्रदीप पांडे (चिंटू) के लिए लड़की देखने और पसंद करने के मिशन में पूरा परिवार लग जाता है । यश मिशन सफल भी होता है । पूरा परिवार को एक लड़की पसंद भी आती है ।
एक ही घर के दो बेटियों मैं बड़ी बेटी यानी आकांक्षा से चिंटू का विवाह तय हो जाता है । चिंटू आकांक्षा से फोन पर बात भी करते हैं और जल्दी बारात लेकर उनके घर पहुंच जाते हैं । सभी दुल्हन को छोड़कर बारात देखने चले जाते हैं । दुल्हन भी बहुत उत्सुक है अपने दूल्हा को देखने के लिए । पर उसके पास कोई नहीं है जो उसे दूल्हा और बारात के दर्शन कराए ।
ऐसे में आकांक्षा अपना दूल्हा खुद ही देखनी छत पर जाती है । वहां उनकी बिजली के तार से करंट लगकर मौत हो जाती है । इस बात से पूरा परिवार बेखबर है । जब कमरे में दुल्हन नहीं मिलती तब उसकी मां उसके भाग जाने का शक जाहिर करती है । वह कहती है कि अक्सर वह किसी लड़के के साथ बात करती थी और शायद उसी के साथ भाग गई है। लड़की के पिता बहुत बड़े धर्म संकट में फस जाते हैं और अपनी छोटी बेटी से कहते हैं कि वही उनकी इज़्ज़त बचा सकती है । अगर वह शादी के लिए तैयार हो जाए तो दरवाज़े पर आई बरात को लौटना नहीं पड़ेगा और इस तरह उनकी मर्यादा बनी रहे । ना चाहते हुए भी संचिता को अपने पिता के मान सम्मान के लिए इस शादी के लिए तैयार हो जाते हैं, और शादी की पूरे रसमें संपन्न होता है ।
शादी से पहले इस बात की जानकारी सिर्फ चिंटू के पिताजी को होती है । दूल्हे को भी इस बात की कोई जानकारी नहीं है की उसकी शादी आकांक्षा से नहीं बल्कि छोटी बेटी संचिता से हो गई है । शादी के बाद चिंटू को इस बात का पता चलता है । उसे लगता है कि उसके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है । यहां से कहानी एक नया मोड़ लेती है । पति पत्नी का रिश्ता प्यार की जगह तकरार मैं बदल जाता है ।
चिंटू संचिता को अपनी पत्नी मानने से इनकार कर देते हैं । लेकिन उसके पिता यानी अवधेश मिश्रा उन्हें यही समझाते हैं की यह लड़की इस घर की बहू है और उनकी धर्म पत्नी, और उन्हें यह धर्म निभाना ही पड़ेगा । पर चिंटू किसी की बात मन्ने को तैयार नहीं होते हैं । उनकी बुआ यानी किरण आग में घी डालने का काम करती है । और चिंटू को इतना भड़का देती है की चिंटू संचिता पर हाथ भी उठा देते हैं ।
संचिता के तमाम कोशिशों के बाद भी जब चिंटू उन्हें अपनी पत्नी मानने को तैयार नहीं होते । तो संचिता अपनी और अपने पिता के मजबूरियों को एक वीडियो के जरिए बयान करने का सोचती है,
और चिंटू के जिंदगी से हमेशा के लिए चले जाने का निर्णय लेती है । संचिता अपनी जान नहीं ले के लिए एक नदी में कूदने के लिए चली जाती है । क्या पिंटू संचिता को बचा पाएंगे या नहीं? यह देखने के लिए फिल्म को जरूर देखें ।
और इसके लिए भी यह फिल्म देखें क्योंकि भोजपुरी के यह एक साफ-सुथरी बेहतरीन फिल्म है । अश्लीलता से बिल्कुल पड़े, अच्छी कहानी, अच्छे केदार, अच्छा गीत संगीत, अच्छी अदाकारी सब कुछ एक साथ परोसा है मंजुल ठाकुर ने । इस सार्थक प्रयास के लिए डायरेक्टर मंजुल ठाकुर और राइटर अरविंद तिवारी बधाई के पात्र है ।
एक्टिंग
इस फिल्म में काम कर रहे सभी कलाकारों और टेक्नीशियन के यह अब तक के करियर के सबसे बेहतरीन फिल्म हो सकती है । अब तक के अभिनय यात्रा में चिंटू का यह बेहतरीन काम है ।
उनकी डायलॉग डिलीवरी, उनका आउटफिट, सब कुछ इस फिल्म के हिसाब से परफेक्ट बैठता है । आकांक्षा ने इस फिल्म में अपने किरदार को बखूबी जिया है । एक गांव की लड़की जिसमें चुलबुलापन, शर्म और सादगी है । केदार के सभी खूबियों को आकांक्षा ने उभारा है । संचिता बनर्जी इस फिल्म में कमाल के लग रहे हैं । यकीनन फिल्म मे उन्होंने काबिले तारीफ काम किया है । आदेश मिश्रा ने हर बार की तरह इस बार भी अपने किरदार मैं जान डाल दी है । वहीं इस फिल्म में बुआ का किरदार निभाने वाली किरण यादव इस फिल्म की सबसे बड़ा मसाला साबित हो सकती है । विलेन के किरदार में किरण का काम लाजवाब है ।
संगीत
फिल्म मे दो स्पेशल सॉन्ग है जिसमें काजल राघवानी और पाखी हेगडे नजर आते हैं जो सिम की खूबसूरती और मनोरंजन को बढ़ाती है ।
हम इस फिल्म को देते हैं 5 में से 4 स्टार ।
अगर आपने इस फिल्म को देखा है तो आप इस फिल्म को कितना स्टार्ट देंगे । नीचे स्टार आइकन पर क्लिक करके आप अपना वोट कर सकते हैं और अगर कोई भी सवालिया सुझाव हो उनके कमेंट कर सकते हैं ।
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