कभी-कभी कानून की बात गैरकानूनी तरीके से की जाती है, मतलब रोबिन हुड टाइप। जो सरकार की नजर में गुनाह है लेकिन आम जनता की दिलों में जगह बना लेता है। इसी का झलक है दिनेश लाल यादव का नया भोजपुरी फिल्म मुकद्दर का सिकंदर।
Muqaddar Ka Sikandar (मुकद्दर का सिकंदर) Review
फिल्म के मुख्य कलाकार
मुकद्दर का सिकंदर के मुख्य कलाकार में आपको नजर आएंगे दिनेश लाल यादव निरहुआ, आम्रपाली दुबे, शमीम खान, पूजा गांगुली, अयाज खान, संजय पांडे आदि।
मुकद्दर का सिकंदर फिल्म का Producer
फिल्म के लेखक और डायरेक्टर है संतोष मिश्रा और निर्माता है वसीम एस खान।
कहानी
बिहार के चंपारण के एक सत्य घटना पर आधारित इस फिल्म में आप वहां की जमीनी हकीकत से रूबरू होंगे।
दिनेश लाल यादव निरहुआ गांव से शहर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने जाते हैं अपनी तमाम उम्मीदों और सपनों के साथ। इन्हीं उम्मीदों को नजर में रखते हुए आम्रपाली दुबे के घर वाले दिनेश लाल यादव निरहुआ से उनके रिश्ते की बात चलाते हैं। पर आम्रपाली इस रिश्ते से साफ इंकार कर देती है।
दिनेश लाल यादव निरहुआ अपने पढ़ाई में लगे हैं और वहीं दूसरी तरफ उनके बहन के साथ कुछ लोग पूरा बर्ताव करते हैं। इसका विरोध करने पर वह लोग उनके पिता की बहुत पिटाई करते हैं और यह बात दिनेश लाल यादव निरहुआ को बहुत बेचैन कर देती है।
कानून के डूलबुल रवैया से उनका खून खौल उठता है। सिस्टम से उनका विश्वास उठ जाता है। ऐसे में वह अपनी लड़ाई खुद लड़ने की ठान लेता है।
निरहुआ यह लड़ाई अपने साथ-साथ वहां के समाज के लिए भी लड़ने लगता है। वह चाहते हैं कि जैसा उनके परिवार के साथ हुआ वैसा और किसी के परिवार के साथ ना हो।
निरहुआ का यह काम नेकी का है पर रास्ता गुनाह का। ऐसे में विरोधियों के साथ-साथ, वहां के शासन प्रशासन भी उनका दुश्मन बन जाता है। यानी लड़ाई दोहरी हो जाती है लेकिन इस धर्म युद्ध में निरहुआ का पलड़ा भारी ही रहता है। वह एक एक करके तमाम अपराधियों को मौत के घाट उतारा है।
जहां कानून इस बात से परेशान है। वही जनता में निरहुआ की हर तरफ वाहवाही हो रही है। निरहुआ धीरे-धीरे हीरो बनता जा रहा है। निरहुआ का इतना ख्याति और इतना नाम सुनकर अमरपाली को भी निरहुआ से प्यार हो जाता है। कभी शादी के लिए मना कर चुकी अमरपाली अब निरहुआ के लिए दीवानी हो जाती है।
निरहुआ के बढ़ते प्रभुत्व से वहां के राजनीतिक दल भी बेखबर नहीं रहते। निरहुआ को पार्टी की तरफ से इलेक्शन लड़ने का प्रस्ताव मिलता है जिसे निरहुआ सिरे से नकार देता है और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरता है। जहां जनता का एक तरफा सपोर्ट मिलता है और निरहुआ विधायक बन जाता है।
विधायक बनने का बाद निरहुआ निश्चय करता है कि वह कानून अपने हाथ में नहीं लेगा, कोई आपराधिक कार्य नहीं करेगा और हथियार अपनी मां की चरणों में समर्पित कर देता है।
इस बात की खबर विरोधियों तक पहुंच जाती है और वह फिर से निरहुआ से लड़ने की तैयारी करते हैं। निरहुआ फिर से हथियार उठाता है या नहीं। यह जानने के लिए आपको यह भोजपुरी फिल्म मुकद्दर का सिकंदर देखना पड़ेगा।
मुकद्दर का सिकंदर फिल्म का गाना
इस फिल्म का गाना ठीक-ठाक है। इस फिल्म में कुल 4 गाने हैं। जिनका नाम है –
इस फिल्म के गाने को लिखा है प्यारे लाल यादव कवी और आजाद सिंह ने। फिल्म के गाने को गाया है नीलकमल सिंह, प्रियंका सिंह, इंदू सोनाली, नीरज निराला ने।
अभिनय
दिनेश लाल यादव निरहुआ भोजपुरी इंडस्ट्री के जुबली स्टार है। उन्होंने दिवाकर दुबे का किरदार बड़े ही दमदार तरीके से निभाया है। उनके अगेंस्ट अमरपाली दुबे ने भी हमेशा की तरह बेहतरीन अभिनय किया है। संजय पांडे एक महत्वपूर्ण भूमिका में है। उनका अभिनय भी प्रभावशाली है।
एक सत्य घटना और सामाजिक मुद्दे को कथा, पटकथा में ढालने और उससे पर्दे पर लाने का बेहतरीन प्रयास किया है लेखक और निर्देशक संतोष मिश्रा और निर्देशक वसीम एस खान का।
सामाजिक मुद्दे को उठाती हुई एक एक्शन ओरिएंटेड फिल्म है मुकद्दर का सिकंदर। BhojpuriGanaNews इस फिल्म को देते हैं 5 में से 3 स्टार। मुकद्दर का सिकंदर के बारे में आप क्या सोचते हैं नीचे कमेंट कर कर जरूर बताएं।
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